शिहान हुसैनी: भारतीय मार्शल आर्ट्स और सिनेमा जगत ने एक महान व्यक्तित्व को खो दिया।
Karate Shihan Hussaini Actor Death News एक बहुआयामी व्यक्तित्व जिसने तमिल सिनेमा, मार्शल आर्ट्स और सामाजिक कार्यों में अपनी अमिट छाप छोड़ी
प्रस्तावना
25 मार्च 2025 को भारतीय मार्शल आर्ट्स और सिनेमा जगत ने एक महान व्यक्तित्व को खो दिया। शिहान हुसैनी, जिन्हें ‘ग्रैंड मास्टर’ के नाम से भी जाना जाता था, ने अपने 60 वर्ष के जीवनकाल में अभिनय, मार्शल आर्ट्स प्रशिक्षण और सामाजिक कार्यों के माध्यम से हजारों लोगों के जीवन को प्रभावित किया। उनका निधन न केवल तमिल सिनेमा बल्कि पूरे भारत में उनके प्रशंसकों और अनुयायियों के लिए एक अपूरणीय क्षति है।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
जन्म और बचपन
28 दिसंबर 1964 को तमिलनाडु के मदुरै शहर में जन्मे शिहान हुसैनी का बचपन मध्यमवर्गीय परिवार में बीता। उनके पिता एक स्कूल शिक्षक थे जबकि माता गृहिणी थीं। बचपन से ही उनमें खेलों के प्रति विशेष रुचि थी और वे स्कूल की विभिन्न खेल प्रतियोगिताओं में भाग लेते थे।
शिक्षा
शिहान ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मदुरै के सरकारी स्कूल से पूरी की। 1980 में उन्होंने मदुरै विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री प्राप्त की। इसी दौरान उनकी मुलाकात एक कराटे प्रशिक्षक से हुई जिसने उनके जीवन की दिशा ही बदल दी।
मार्शल आर्ट्स की शुरुआत
कॉलेज के दिनों में ही शिहान ने कराटे सीखना शुरू किया। उनकी प्रतिभा और मेहनत ने उन्हें जल्द ही ब्लैक बेल्ट तक पहुँचा दिया। 1983 में वे चेन्नई चले गए जहाँ उन्होंने मार्शल आर्ट्स की विभिन्न शैलियों पर गहन अध्ययन किया।
व्यावसायिक करियर
मार्शल आर्ट्स में योगदान
1985 में शिहान हुसैनी ने चेन्नई में अपना पहला कराटे ट्रेनिंग सेंटर खोला। अगले तीन दशकों में उन्होंने:
- 50 से अधिक ट्रेनिंग सेंटर्स की स्थापना की
- 10,000 से अधिक छात्रों को प्रशिक्षित किया
- भारत में मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स (MMA) को बढ़ावा दिया
- कई अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भारत का प्रतिनिधित्व किया
फिल्मी करियर
1986 में फिल्म ‘पुन्नगाई मन्नन’ से शुरुआत कर शिहान ने तमिल सिनेमा में एक विशिष्ट स्थान बनाया। उनकी प्रमुख फिल्मों में शामिल हैं:
वर्ष | फिल्म | भूमिका | विशेष योगदान |
---|---|---|---|
1986 | पुन्नगाई मन्नन | मुख्य विलन | पहली फिल्म, स्टंट कोरियोग्राफी |
1987 | वेलैकरन | सहायक भूमिका | एक्शन सीक्वेंस डिजाइन |
2001 | बद्री | मार्शल आर्ट्स ट्रेनर | विजय के लिए प्रशिक्षण दिया |
2022 | काथु वकुला रेंदु काधल | मेंटर की भूमिका | अंतिम फिल्म |
सामाजिक कार्य
शिहान हुसैनी ने कई सामाजिक पहलों में सक्रिय भागीदारी निभाई:
- युवा सशक्तिकरण: गरीब बच्चों के लिए मुफ्त मार्शल आर्ट्स कक्षाएं
- महिला सुरक्षा: आत्मरक्षा कार्यशालाएं
- पर्यावरण संरक्षण: तमिलनाडु में वृक्षारोपण अभियान
- शिक्षा: अनाथालयों के लिए धन संग्रह
व्यक्तिगत जीवन
परिवार
शिहान हुसैनी ने 1992 में सुमन (नाम परिवर्तित) से विवाह किया। उनके दो बच्चे हैं – एक बेटा आरिफ (28) जो एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर है और एक बेटी ज़रीन (25) जो मार्शल आर्ट्स ट्रेनर है।
शौक और रुचियाँ
- प्राचीन मार्शल आर्ट्स पर शोध
- योग और ध्यान
- किताबें पढ़ना (विशेषकर इतिहास और दर्शन)
- यात्रा करना
स्वास्थ्य संघर्ष और अंतिम दिन
बीमारी का निदान
2020 में शिहान को ल्यूकेमिया (ब्लड कैंसर) का पता चला। उन्होंने चेन्नई के अपोलो अस्पताल में उपचार शुरू किया। 2023 तक वे नियमित रूप से अपने प्रशिक्षण कार्यक्रमों में भाग लेते रहे।
अंतिम संघर्ष
2025 की शुरुआत में उनकी हालत बिगड़ने लगी। 15 मार्च को उन्हें आईसीयू में भर्ती कराया गया जहाँ 10 दिनों तक संघर्ष के बाद 25 मार्च 2025 को उनका निधन हो गया।
अंतिम संस्कार
26 मार्च 2025 को चेन्नई के किलपौक कब्रिस्तान में उनका अंतिम संस्कार किया गया। इस मौके पर तमिल सिनेमा जगत के कई बड़े नाम उपस्थित थे।
पुरस्कार और सम्मान
- तमिलनाडु राज्य पुरस्कार (1995) – मार्शल आर्ट्स में योगदान के लिए
- कलाईमामणि पुरस्कार (2002)
- विश्व मार्शल आर्ट्स हॉल ऑफ फेम (2010)
- लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड – दक्षिण भारतीय फिल्म उद्योग (2018)
विरासत
शिहान हुसैनी ने अपने पीछे एक समृद्ध विरासत छोड़ी है:
शिहान मार्शल आर्ट्स अकादमी
देश भर में 25 सेंटर्स के साथ यह संस्थान उनकी सबसे बड़ी देन है जो उनके बेटे आरिफ और शिष्यों द्वारा संचालित है।
शिहान चैरिटेबल ट्रस्ट
गरीब मार्शल आर्ट्स प्रतिभाओं को छात्रवृत्ति प्रदान करता है।
सिनेमाई योगदान
उनके द्वारा प्रशिक्षित कलाकार आज भी फिल्मों में स्टंट और एक्शन सीक्वेंस डिजाइन कर रहे हैं।
निष्कर्ष
शिहान हुसैनी का जीवन संघर्ष, समर्पण और सफलता की एक अनूठी मिसाल है। उन्होंने न केवल मार्शल आर्ट्स को भारत में लोकप्रिय बनाया बल्कि सिनेमा के माध्यम से लाखों युवाओं को प्रेरित किया। उनकी सामाजिक सेवाएँ और मानवीय गुण उन्हें एक संपूर्ण व्यक्तित्व बनाते हैं।