शीतला सप्तमी पूजा का शुभ मुहूर्त

शीतला सप्तमी

शीतला सप्तमी


शीतला सप्तमी एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे हर साल चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है। इस दिन शीतला माता की पूजा का विशेष महत्व है। शीतला माता को स्वास्थ्य और रोगों से मुक्ति की देवी माना जाता है।


शीतला माता की आरती


शीतला माता की आरती का पाठ इस प्रकार है:


जय शीतला माता, जय शीतला माता,
आपके चरणों में, हम सबका नमन।

दूध-चावल का भोग, आपको अर्पित करें,
आपकी कृपा से, सब रोग मिटें।

जय शीतला माता, जय शीतला माता,
आपके चरणों में, हम सबका नमन।
    

शीतला माता की कथा


शीतला माता की कथा के अनुसार, देवी पार्वती के स्वरूप में शीतला माता ने पृथ्वी पर भ्रमण करने का निर्णय लिया। उन्होंने देखा कि कोई उनकी पूजा नहीं कर रहा। एक गांव में, एक कुम्हारिन ने उनकी मदद की जब वे जल गईं। कुम्हारिन ने उन्हें ठंडी राबड़ी और दही दिया, जिससे माता प्रसन्न हुईं और उन्होंने उस गांव में रहने का निर्णय लिया।


माता ने कहा कि जो भी भक्तिभाव से उनकी पूजा करेगा, उसके घर से दरिद्रता दूर होगी। इस प्रकार से शीतला माता का पूजन प्रारंभ हुआ और उन्हें ‘चेचक की देवी’ के रूप में पूजा जाने लगा।


पूजा कब होगी


आपकी जानकारी सही नहीं है। शीतला सप्तमी का पर्व 21 मार्च 2025 को मनाया जा रहा है, जो आज है।

सप्तमी तिथि का प्रारंभ 21 मार्च को सुबह 2:45 बजे हुआ और इसका समापन 22 मार्च को सुबह 4:23 बजे होगा।


शीतला सप्तमी पूजा का शुभ मुहूर्त


पूजन का समय: सुबह 6:24 बजे से शाम 6:33 बजे तक


पूजा विधि


  1. स्नान: सुबह जल्दी स्नान करें।
  2. आसना: पूजा स्थल पर एक साफ आसन बिछाएं।
  3. दीप जलाना: दीपक जलाएं और शीतला माता का चित्र या प्रतिमा स्थापित करें।
  4. भोग: ठंडा भोजन जैसे दही, राबड़ी और बासी भोजन अर्पित करें।
  5. आरती: आरती का पाठ करें और माता से आशीर्वाद मांगें。

पूजा का महत्व


शीतला माता की पूजा से भक्तों को स्वास्थ्य लाभ मिलता है और चेचक जैसी बीमारियों से रक्षा होती है। यह पर्व न केवल धार्मिक महत्व रखता है बल्कि समाज में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाने का भी कार्य करता है। भक्तों का मानना है कि इस दिन सच्चे मन से की गई पूजा से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं。

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